PGY 3 : November 2021
This composition is inspired by famous shayar Niazi’s work
किसी रूठे को मनाना हो
किसी अपने को गले लगाना हो
कोई बात सुनानी हो
किसी से बहुत दूर जाना हो
अक्सर.. देर कर देता हूँ मैं
किसी को माफ़ करना हो
किसी से यूँ .. बिछड़ जाना हो
मॉन्सून की पहली बरसात में
बेपरवाह भीग जाना हो..
अक्सर.. देर कर देता हूँ मैं
ग़लतफ़हमियों.. दरारों को
जब मिटाना हो
किसी के पास जाना हो
कोई ग़म भूलना हो
अक्सर… देर कर देता हूँ मैं
कोई बात… दिल से सुनानी हो
किसी से नज़र मिलानी हो
किसी की तारीफ़ करनी हो
या किसी को .. बस भूल जाना हो
अक्सर… देर कर देता हूँ मैं
कोई इच्छा ज़ाहिर करनी हो
किसी का मन बहलना हो
किसी को दिलासा देना हो
कोई वादा निभाना हो
अक्सर… देर कर देता हूँ मैं