K.E.M. Radiology

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Department of Radiology 

  Seth G.S. Medical College and K.E.M. Hospital, Mumbai , India


Der kar deta hoon    देर कर देता हूँ मैं

Armaandeep Singh Aulakh

PGY 3 : November 2021

This composition is inspired by famous shayar  Niazi’s work 

किसी रूठे को मनाना हो 

किसी अपने को गले लगाना हो 

कोई बात सुनानी हो 

किसी से बहुत दूर जाना हो 

अक्सर.. देर कर देता हूँ मैं




किसी को माफ़ करना हो 

किसी से यूँ .. बिछड़ जाना हो

मॉन्सून की पहली बरसात में 

बेपरवाह भीग जाना हो..

अक्सर.. देर कर देता हूँ मैं 




ग़लतफ़हमियों.. दरारों को 

जब मिटाना हो 

किसी के पास जाना हो

कोई ग़म भूलना हो 

अक्सर… देर कर देता हूँ मैं




कोई बात… दिल से सुनानी हो 

किसी से नज़र मिलानी हो

किसी की तारीफ़ करनी हो

या किसी को .. बस भूल जाना हो 

अक्सर… देर कर देता हूँ मैं




कोई इच्छा ज़ाहिर करनी हो 

किसी का मन बहलना हो

किसी को दिलासा देना हो 

कोई वादा निभाना हो

अक्सर… देर कर देता हूँ मैं

Kisi roothe ko manaana ho.. 

Kisi apne ko gale lagana ho.. 

koi baat sunani ho..

Kisi se.. bhot door jaana ho

Aksar... der kar deta hoon main


Kisi ko maaf karna ho.. 

Kisi se yun  ..bichhadna ho..

Monsoon ki pehli baarish mein 

Beparwaah bheeg Jana ho ..

Aksar der kar deta hoon main ..


Galatfehmiyoon .. Daraaron ko 

jab mitaana ho...

Kisi ke paas jaana ho..

Koi gham bhulana ho.. 

Aksar .. der kar deta hoon main..


Koi baat dil se sunani ho..

Kisi se nazar milani ho..

Kisi ki tareef karni ho..

Kisiko bas bhool jana ho .. 

Aksar... der kar deta hoon main..


Koi ichha Zahir karni ho,

Kisi ka man behlana ho..

Kisiko dilaasa dena ho..

Koi waada nibhana ho..

Aksar der kar deta hu main..